भारत में ही है मेरा आधा दिल, वो तीन साल मेरे जीवन का सबसे रोमांचकारी समय था : Ban Ki-Moon
संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की-मून की पहली राजनयिक पोस्टिंग भारत में थी। इस दौरान उन्होंने एक ऐसा खास संबंध विकसित किया कि 50 साल बाद भी वे भारतीयों को बताते हैं कि उनका आधा दिल भारत में है। बान ने अपनी आत्मकथा में इस बात का उल्लेख किया है कि भारत में उनके […]
संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की-मून की पहली राजनयिक पोस्टिंग भारत में थी। इस दौरान उन्होंने एक ऐसा खास संबंध विकसित किया कि 50 साल बाद भी वे भारतीयों को बताते हैं कि उनका आधा दिल भारत में है। बान ने अपनी आत्मकथा में इस बात का उल्लेख किया है कि भारत में उनके तीन साल उनके जीवन का रोमांचकारी समय था। “रिजॉल्व्ड: यूनाइटिंग नेशंस इन ए डिवाइडेड वर्ल्ड” में बान ने वर्णन किया है कि कैसे वह ‘युद्ध वाले बच्चे’ से एक ‘शांति वाले व्यक्ति’ में तब्दील हो गए। संयुक्त राष्ट्र से ठीक एक साल पहले 1944 में जन्मे बान की शुरुआती यादें उनके कोरियाई गांव पर बम गिरने की आवाज और आग के दृश्य रहे हैं। छह साल के लड़के के रूप में वह अपने परिवार के साथ भाग गए थे। मिट्टी से लथपथ जूतों के साथ मीलों तक दौड़ते रहे, ये बच्चा लगातार भूख से पीड़ित था और सोच रहा था कि कैसे बचेगा। लेकिन तभी संयुक्त राष्ट्र ने उन्हें बचा लिया। बाद में युवा बान इस उदारता को चुकाने के लिए दृढ़ संकल्पित हुए।
भारत में अपने दिनों के बार में वे लिखते हैं- भारत में मेरी पहली राजनयिक पोस्टिंग थी और सून-ताक (पत्नी) और मैं अक्टूबर 1972 में दिल्ली पहुंचे। मैंने वहां लगभग तीन वर्षों तक सेवा की। पहले कोरियाई महावाणिज्य दूतावास के उप महावाणिज्यदूत के रूप में और दिसंबर 1973 में कोरिया और भारत के बीच एक पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद मैंने कोरियाई दूतावास के दूसरे सचिव के रूप में कार्य किया।
उनकी बेटी सियोन-योंग उस समय सिर्फ आठ महीने की थी और उनके इकलौते बेटे वू-ह्यून का जन्म 30 अक्टूबर 1974 को भारत में हुआ था। इस किताब में बान लिखते हैं- मैं भारतीय लोगों के साथ मजाक करता था कि भारत के साथ मेरी बैलेंस शीट सही है क्योंकि मेरा बेटा भारत में पैदा हुआ था और मेरी सबसे छोटी बेटी ह्यून-ही की शादी एक भारतीय व्यक्ति से हुई है। अब भी लगभग पचास साल बाद मैं भारतीयों से कहता हूं कि मेरा आधा दिल उनके देश में है। उनका कहना है कि भारत में उनका काम एक युवा राजनयिक के लिए चुनौतीपूर्ण लेकिन आकर्षक था।