बाट-माप कानून की कुछ धाराओं में आपराधिक सजा का प्रावधान हटाने की जरुरत : Piyush Goyal
नई दिल्ली : केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण, कपड़ा, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि उपभोक्ता हितों की रक्षा तथा बाजार में बिकने वाले माल और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए कानूनों को कारगर तरीके से लागू करना जरुरी है। गोयल ने साथ में यह भी कहा कि कानूनी […]
नई दिल्ली : केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण, कपड़ा, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि उपभोक्ता हितों की रक्षा तथा बाजार में बिकने वाले माल और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए कानूनों को कारगर तरीके से लागू करना जरुरी है। गोयल ने साथ में यह भी कहा कि कानूनी प्रावधानों का दुरुपयोग कर छोटे कारोबारियों और व्यापारियों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए। वह विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के अवसर पर यह ‘फेयर डिजिटल फाइनेंस’ (निष्पक्ष डिजिटल वित्त) विषय पर एक दिवसीय कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बाट-माप अधिनियम की कुछ धाराओं में संशोधन कर उनमें कैद के प्रावधान को खत्म करने की जरुरत पर बल दिया।
गोयल ने छोटे व्यवसायों की दुर्दशा पर प्रकाश डाला और कहा, ‘‘कानून के नाम पर छोटे व्यापारियों और छोटे व्यापारियों के नाम पर उत्पीड़न को रोकना आवश्यक है। ’’ उन्होंने विधिसम्मत माप-तोल विज्ञान अधिनियम के कुछ प्रावधानों को अपराध से मुक्त करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने सभी हितधारकों से इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करने का भी आग्रह किया। इस कार्यक्रम में विभाग के राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, साध्वी निरंजन ज्योति, राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल, इंफोसिस के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष नंदन नीलेकणि और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। गोयल ने कहा कि विधिसम्मत माप विज्ञान अधिनियम 2009 की विभिन्न धाराओं के तहत पहले अपराध के लिए लगभग 90,000 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था । इनमें लगभग 90 प्रतिशत मामलों में धारा 33, 36 (1) और 25 को लगू किया गया था जो दंड से संबंधित है और असत्यापित वजन, गैर-मानक उत्पादों की बिक्री तथा गैर-मानक बाट और माप का उपयोग करने से संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि इन मामलों में पहले अपराध को जुर्म लगा कर निपटा दिया जा सकता है। दोबार अपराध पर इस कानून के तहत कारावास हो सकता है।
उन्होंने कहा कि 2018-19 में पहले अपराध के तहत 89,724 जबकि दोबारा वही अपराध करने के मामलों की संख्या 11 थी। इसी तरह, 2019-20 में पहले अपराध के तहत 91,818 मामले दर्ज किए गए जबकि दूसरे अपराध के तहत केवल दो मामले दर्ज किए गए। 2020-21 में पहले अपराध के तहत 84,824 मामले दर्ज किए गए जबकि दूसरे अपराध के तहत शून्य मामला दर्ज किया गया। मंत्री ने कहा, ‘बड़ी संख्या में पहले अपराध और लगभग शून्य दूसरे अपराध हम सभी के लिए आत्मनिरीक्षण की मांग करते हैं। इसलिए,यह जरुरी है कि हम सुनिश्चित करें कि छोटे उद्यमियों को कानून के दुरुपयोग से परेशान न किया जाए।’’ उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले साल विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस तक बाट-माप अधिनियम के कुछ प्रावधानों को अपराध से मुक्त करने की प्रक्रिया को अंतिम रुप दिया जाएगा।
गोयल ने भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा की जा रही कार्रवाई के उदाहरण साझा किए। उन्होंने कहा कि दुनिया की नंबर एक होने का दावा करने वाली एक टूथपेस्ट कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। इसी तरह की कार्रवाई एक अन्य कंपनी के खिलाफ भी की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि उसने कुछ ही समय में स्टॉक बेच दिया था। उन्होंने कहा कि आज विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस है। अधिकारों के साथ अधिकारियों के साथ-साथ उपभोक्ताओं की भी जिम्मेदारी आती है। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए उपभोक्ता न्यायालयों की आभासी सुनवाई का सुझाव दिया है।’’ गोयल ने भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा किए जा रहे गुणवत्ता मानकीकरण कार्यों के बारे में भी बात की और कहा कि हॉलमार्किंग ने उपभोक्ताओं को गुणवत्ता, शुद्धता और पारदर्शिता का लंबे समय से अधिकार प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि दिसंबर 2021 तक 1.3 लाख से अधिक जौहरियों ने सोने की हॉलमार्क वाली ज्वैलरी बेचने के लिए बीआईएस से पंजीकरण लिया है।